आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी की आलोचना पद्धति | Acharya Nanddulare Vajpeyi Ki Alochana Paddhati

  अर्थात् उनके अनुसार ‘साहित्य’ की ‘स्वतंत्र सत्ता की स्वीकृति’ ही स्वच्छन्दतावाद का केंद्रीय तत्व है । आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी की प्रसिद्धि हिंदी में सौष्ठववादी आलोचक के रूप में है। सौष्ठववादी समीक्षा पद्धति में ‘काव्य के सौन्दर्योद्घाटन’ पर विशेष बल दिया जाता है, शास्त्रीय समीक्षा पर नहीं। आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी ने ‘प्रसाद’, ‘निराला’ और ‘पन्त’ … Read more

मुक्तिबोध की आलोचना दृष्टि | Muktibodh Ki Alochana Drishti

मुक्तिबोध, जिनका वास्तविक नाम गजानन माधव मुक्तिबोध था, एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और आलोचक थे। उनकी आलोचना दृष्टि हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, और उनके विचार आज भी प्रासंगिकहैं।  मुक्तिबोध की आलोचना दृष्टि मार्क्सवादी विचारों से प्रभावित थी। वे साहित्य को समाज के परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते थे। उनका मानना … Read more

भारतेन्दुपूर्व हिंदी आलोचना | Bhartendupurva Hindi Alochana

bhartendupurva hindi alochana

भारतेन्दु  से पूर्व भक्ति और रीति युग में आलोचना के क्षेत्र में प्रयास हुए हैं। भक्ति काल में भक्ति का प्रभाव इतना प्रबल है कि वहाँ अलग से काव्य-सिद्धांतों की चर्चा प्रायः नहीं हुई है। भक्त कवियों के लिए काव्य रचना ईश्वर भक्ति का साधन है इसलिए जहाँ ईश्वर है वहाँ उत्तम काव्य भी है। … Read more

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की आलोचना दृष्टि | Acharya Hazariprasad Dwivedi Ki Alochana Drishti

बलिया जिला (उ.प्र.) के ‘आरत दुबे का छपरा’ नामक गाँव में जन्मे, काशी में शिक्षित हुए तथा शान्तिनिकेतन, चंडीगढ़ और काशी में अध्यापन करने वाले आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी (19.8.1907-19.5.1979) मूलतः साहित्येतिहासकार, आलोचक और अनुसन्धानकर्ता हैं।   उन्होंने साहित्य को सांस्कृतिक चेतना के स्तर पर देखा है। इसी दृष्टि से उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण आलोचना ग्रंथ लिखे … Read more

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