मलिक मुहम्मद जायसी का रहस्यवाद | malik muhammad jayasi ka rahasyavad
malik muhammad jayasi ka rahasyawad athwa malik muhammad jayasi ke kavya men rahasyawad
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कबीर भक्तिकाल की निर्गुण धारा की ज्ञानाश्रयी शाखा के अन्तर्गत संत-काव्य धारा के प्रमुख और प्रतिनिधि कवि हैं। आज हम Kabir ka kavyashilp अथवा Kabir ki kavyakala इस लेख के माध्यम से समझने का प्रयास करेंगे ।
नीतिकाव्य जीवन-व्यवहार को सुगम बनाने का आधार है। नीतिकाव्य सृजित करने में व्यावहारिक अनुभवों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। व्यक्ति इन अनुभवों को स्वयं के क्रिया-कलापों से तथा दूसरों के द्वारा अर्जित एवं कहे गए मन्तव्यों से ही अर्जित करता है। स्वयं द्वारा अर्जित अनुभवों से यद्यपि व्यक्ति आत्मनिर्भर और संघर्षशील बनता है, तथापि … Read more
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार भक्तिकाल (पूर्व-मध्यकाल) का समय संवत् 1375 से 1700 (अर्थात् सन् 1318 ई. से 1643 ई.) तक है । उन्होंने भक्तिकाल का विभाजन निम्नानुसार किया है, जो आज सर्वमान्य है : भक्तिकाल का काल विभाजन : 1. निर्गुण धारा : (क) ज्ञानाश्रयी शाखा (संत काव्यधारा) – इसके प्रतिनिधि कवि कबीर हैं … Read more