डॉ.रामविलास शर्मा की आलोचना दृष्टि | Dr Ramvilas Sharma ki Alochana Drishti

Dr Ramvilas Sharma ki Alochana Drishti

आज हम मार्क्सवादी आलोचना के शिखर-पुरुष डॉ.रामविलास शर्मा की आलोचना दृष्टि पर विचार करेंगे । उन्होंने हिंदी की मार्क्सवादी  आलोचना में ‘हिंदी जाति’, ‘हिंदी जाति की सांस्कृतिक चेतना’, ‘भाषा-समाज-संस्कृति-साहित्य’, ‘हिंदी नवजागरण’ जैसी अनेक नवीन अवधारणाओं पर नया चिंतन प्रस्तुत किया है। तो आइए अब Dr Ramvilas Sharma ki Alochana Drishti को विस्तार से समझने का प्रयास करें ।

आई ए रिचर्ड्स का व्यावहारिक (समीक्षा) सिद्धांत | I A Richards ka vyavaharik samiksha siddhant

I. A. Richards ka vyavaharik samiksha siddhant

1929 ई. में आई.ए.रिचर्ड्स का ‘प्रैक्टिकल क्रिटिसिज्म’ ग्रन्थ प्रकाशित हुआ। इसे हिंदी में व्यावहारिक आलोचना (समीक्षा) कहते हैं। I. A. Richards ka vyavaharik samiksha siddhant को समझने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें ।

समकालीन कविता की प्रमुख प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ | Samkalin Kavita ki Pramukh Pravrittiyan aur Visheshtaen

samkalin kavita ki pramukh pravrittiyan aur visheshtyaen

‘समकालीन’ शब्द अंग्रेजी के ‘contemporary’ का पर्याय है तथा ‘समसामयिक’ का अर्थ बोधक है । इससे प्रतीत होता है कि समकालीन कविता समसामयिक संदर्भों से संबद्ध है । साथ ही, इसे युग-विशेष के संदर्भों के अनुसार बदली हुई चेतना या मानसिकता का द्योतक माना जाता है ।

जनवादी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ | Janvadi Kavita ki Pramukh Pravrittiyan aur Visheshtaen

Janvadi Kavita ki Pramukh Pravrittiyan aur Visheshtaen

जनवादी कविता से आशय एक विशेष दौर की कविताओं से है जिनमें जनता के प्रति प्रतिबद्धता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। जनता के प्रति यही प्रतिबद्धता जनवादी कविता को क्रांतिधर्मी चेतना से लैस करती है। इस विशेष दौर की कविता का नामकरण चीन की जनवादी क्रांति की प्रेरणा पर की गई क्योंकि माओवादी विचारधारा इस काव्यांदोलन के वैचारिक आधार को निर्मित करती है। यह प्रगतिवादी काव्यांदोलन की तार्किक परिणति है, फर्क सिर्फ इतना है कि यहाँ पर वैचारिक प्रतिबद्धता का आग्रह नहीं है। आज हम Janvadi Kavita ki Pramukh Pravrittiyan aur Visheshtaen को विस्तार से समझने और उसका विश्लेषण करने का प्रयास करेंगे ।

आलोचना के प्रकार |alochana ke prakar |आलोचना के भेद | alochana ke bhed

alochana ke prakar

किसी साहित्यिक रचना की सम्यक् परीक्षा करना, उसके गुण-दोषों का उद्घाटन करना आलोचना है । आज हम alochana ke prakar या alochana ke bhed को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे।

मलिक मुहम्मद जायसी का रहस्यवाद | malik muhammad jayasi ka rahasyavad

malik muhammad jayasi ka rahasyawad

malik muhammad jayasi ka rahasyawad athwa malik muhammad jayasi ke kavya men rahasyawad

कबीर का काव्यशिल्प |kabir ka kavyashilp| kabir ki kavyakala

kabir ka kavyashilp

कबीर भक्तिकाल की निर्गुण धारा की ज्ञानाश्रयी शाखा के अन्तर्गत संत-काव्य धारा के प्रमुख और प्रतिनिधि कवि हैं। आज हम Kabir ka kavyashilp अथवा Kabir ki kavyakala इस लेख के माध्यम से समझने का प्रयास करेंगे ।

प्राच्यवाद क्या है | prachyavad kya hai

prachyavad kya hai

प्राच्यवाद को अंग्रेजी में ओरियेंटलिज्म कहा जाता है ।  ‘प्राच्यवाद’ का अभिप्राय है पूरब के बारे में पश्चिम का दृष्टिकोण। जो पश्चिम है वह पूरब नहीं है, वह इतर है, दी ‘अदर’ है। सामान्यतः यूरोप को पश्चिम और एशिया को पूरब मान लिया गया है।

रीतिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ | Ritikal ki Pramukh Pravrittiyan aur Visheshtaen

रीतिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ | Ritikal ki Pramukh Pravrittiyan aur Visheshtaen

Ritikal ki Pramukh Pravrittiyan aur Visheshtaen, रीतिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, Ritikal ki Pramukh Pravrittiyan aur Visheshtaen

रीतिकालीन कवियों का आचार्यत्व | Ritikalin kaviyon ka acharyatva

ritikalin kaviyon ka acharyatva

हिंदी साहित्य के इतिहास में मध्यकाल को पूर्व मध्यकाल और उत्तर मध्यकाल के रूप में विभाजित किया गया है। आचार्य शुक्ल ने पूर्व मध्यकाल को ‘भक्तिकाल’ की संज्ञा दी है और उत्तर मध्यकाल को ‘रीतिकाल’ की। निश्चय ही ‘रीतिकाल’ नामकरण इस बात का संकेत देता है कि इस दौर में रीति-निरूपण की प्रधानता थी। आचार्य … Read more

महादेवी वर्मा की काव्यगत विशेषताएँ | Mahadevi Verma ki Kavyagat Visheshtaen

mahadevi verma ki kavyagat visheshtaen

Mahadevi Verma ki Kavyagat Visheshtaen

शैली विज्ञान | Shaili Vigyan | Pashchatya Kavya Shastra

shaili vigyan

‘शैली’ मूल लातानी (लैटिन) शब्द ‘स्तिलुस’ (stylus) से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ है ‘कलम’। उसी के अर्थ का विस्तार हुआ है – कलम की प्रयोग विधि, लेखन की विधि, अभिव्यक्ति की विधि । तो आइए अब विस्तार से shaili vigyan को समझने का प्रयास करते हैं । काव्यशास्त्र के विद्वान्, रस मर्मज्ञ डॉ. नगेन्द्र के … Read more

आई ए रिचर्ड्स का संप्रेषण सिद्धान्त | I A Richards ka Sampreshan Siddhant

I A Richards ka Sampreshan Siddhant

I A Richards ka Sampreshan Siddhant

‘अंधेर नगरी’ के नामकरण की सार्थकता | andher nagari ke namkaran ki sarthakta

andher nagari ke namkaran ki sarthakta

‘अंधेर नगरी, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का अत्यंत प्रसिद्ध प्रहसन है, जो 1881 ई. में प्रकाशित हुआ था । भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अपने प्रहसन ‘अंधेर नगरी’ को परम्परा से चली आ रही लोकोक्ति ‘अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा’ पर आधारित किया है जिसमें बिहार के किसी मूर्ख और अत्याचारी शासक को आधार … Read more

मैला आँचल की आँचलिकता | Maila Anchal Ki Anchalikta

maila anchal ki anchalikta

फणीश्वरनाथ रेणु जन्म 4 मार्च, 1921 को औराही हिंगना नामक गाँव, जिला पूर्णिया (बिहार) में हुआ था ।  आपका देहावसान 11 अप्रैल, 1977 को हुआ । फणीश्वरनाथ रेणु की प्रमुख कृतियाँ संस्मरण : ऋणजल धनजल, वन तुलसी की गन्ध, समय की शिला पर, श्रुत-अश्रुत पूर्व रिपोतार्ज :  नेपाली क्रान्ति-कथा (रिपोर्ताज़); रेणु रचनावली (समग्र) मैला आँचल … Read more

आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी की आलोचना पद्धति | Acharya Nanddulare Vajpeyi Ki Alochana Paddhati

Acharya Nanddulare Vajpeyi Ki Alochana Paddhati

  अर्थात् उनके अनुसार ‘साहित्य’ की ‘स्वतंत्र सत्ता की स्वीकृति’ ही स्वच्छन्दतावाद का केंद्रीय तत्व है । आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी की प्रसिद्धि हिंदी में सौष्ठववादी आलोचक के रूप में है। सौष्ठववादी समीक्षा पद्धति में ‘काव्य के सौन्दर्योद्घाटन’ पर विशेष बल दिया जाता है, शास्त्रीय समीक्षा पर नहीं। आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी ने ‘प्रसाद’, ‘निराला’ और ‘पन्त’ … Read more

बिम्ब क्या है | Bimb Kya Hai

Bimb Kya Hai

ये बिम्ब एक प्रकार से संचित अनुभूतियों के रूप में हमारे अवचेतन मन (subconscious mind) में सदा विद्यमान रहते हैं और समय-समय पर स्मृति एवं कल्पना की सहायता से पुनः हमारे चेतन स्तर पर उदित होकर हमें भाँति-भाँति के बोध प्रदान करते हैं। कवि या कलाकार इन्हीं बिम्बों को अपनी रचना में प्रस्तुत करता है, … Read more

मुक्तिबोध की आलोचना दृष्टि | Muktibodh Ki Alochana Drishti

muktibodh ki alochana drishti

मुक्तिबोध, जिनका वास्तविक नाम गजानन माधव मुक्तिबोध था, एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और आलोचक थे। उनकी आलोचना दृष्टि हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, और उनके विचार आज भी प्रासंगिकहैं।  मुक्तिबोध की आलोचना दृष्टि मार्क्सवादी विचारों से प्रभावित थी। वे साहित्य को समाज के परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते थे। उनका मानना … Read more

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