पृथ्वीराज रासो के रेवा तट सर्ग का कथानक | Prithviraj Raso Ke Reva Tat ka Kathanak

चन्दवरदाई दिल्ली के अंतिम सम्राट महाराज पृथ्वीराज चौहान के सामंत और राजकवि के रूप में प्रसिद्ध है । माना तो यह भी जाता है कि चन्द केवल पृथ्वीराज के राजकवि या सामंत ही नहीं बल्कि उनके परम मित्र भी थे। वे षडभाषा, व्याकरण, काव्य, साहित्य, छंदशास्त्र, ज्योतिष, पुराण आदि अनेक विधाओं में पारंगत थे । … Read more

अलंकार सम्प्रदाय |Alankar Sampraday | Alankar Siddhant | Bhartiya Kavya Shastra

   अलंकार काव्य का वह तत्व है जो उसे अलंकृत करता है । अर्थात् अलंकार काव्य को सुंदर बनाता है । सर्वप्रथम आचार्य भरत मुनि के ‘नाट्यशास्त्र’ में चार अलंकारों – उपमा, रूपक, दीपक और यमक का उल्लेख मिलता है ।  किन्तु अभी अलंकार-सिद्धान्त का जन्म नहीं हुआ था ।   संस्कृत काव्यशास्त्र में कालक्रम की … Read more

प्रतीक | प्रतीक क्या है | Pratik | Pratik Kya hai

प्रतीक किसी वस्तु विशेष या भाव समूहों का एक ऐसा संकेत है जो अगोचर एवं अतीन्द्रिय है, जिसका संपूर्ण रूप में मस्तिष्क में अनुभव किया जा सकता है। अर्थात प्रतीक ऐसा शब्द चिह्न है जो किसी वस्तु का बोध कराता है। वस्तुतः प्रतीक किसी सूक्ष्म भाव, विचार या अगोचर तत्व को साकार करने के लिए … Read more

साहित्य का उद्देश्य | Sahitya ka Uddeshya | Sahitya ka Prayojan | साहित्य का प्रयोजन

साहित्य शब्द और अर्थ के समन्वित सौंदर्य से निर्मित ऐसी लोकमंगलकारी रचना है जो रचनाकार के भावों, विचारों और आदर्शों को पाठक या समाज तक सम्प्रेषित करती है।  विद्वानों के अनुसार ‘साहित्य’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है = सहित + यत् प्रत्यय । अर्थात साहित्य का अर्थ है – साथ होने का भाव या सहभाव … Read more

यथार्थवाद क्या है | Yatharthvad Kya Hai| Realism Kya Hai

हिंदी में यथार्थवाद अंग्रेजी के रियलिज्म (Realism) के अनुवाद के रूप में प्रयुक्त होता है । यथार्थ का अर्थ है यथा + अर्थ यानी जैसा है वैसा अर्थ। किंतु इसका पारिभाषिक अर्थ समझने के लिए इतिहास और दर्शन के क्षेत्र में जाना पड़ेगा । यथार्थवाद मूलतः दर्शन के क्षेत्र का शब्द है, जहाँ  से साहित्य व … Read more

फैन्टेसी क्या है | Fantasy Kya Hai

आधुनिक काव्य-चिन्तन में कल्पना के साथ ‘फैन्टेसी’ की चर्चा भी बराबर होती है। इसका कारण यह है कि ‘फैन्टेसी’ भी एक प्रकार की कल्पना ही है। प्लेटो ने कल्पना के लिए ‘फैन्टेसिया’ शब्द प्रयोग किया था जिसका आधार ‘असत्य’ या ‘मिथ्या’ होता है।  अतः ‘फैन्टेसी’  शब्द का निर्माण यूनानी शब्द ‘फैन्टेसिया’ से हुआ है जिसका … Read more

अस्तित्ववाद क्या है | Astitvavad kya hai

अस्तित्ववाद मूल रूप से दर्शन के क्षेत्र का शब्द है । यह अंग्रेजी के एक्जिस्टेंशियलिज़्म (Existentialism) का हिंदी पर्याय हैअस्तित्ववाद का उन्मेष प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में हुआ।  तदुपरांत उसने फ्रांस और इटली होते हुए एशिया के देशों में भी अपना प्रभाव डाला। इस सिद्धान्त ने साहित्य सृजन तथा आलोचना सिद्धान्त को गहराई से प्रभावित … Read more

संरचनावाद क्या है | Sanrachanavad Kya Hai

sanrachanavad kya hai

संरचनावाद अंग्रेजी शब्द (Structuralism) का हिंदी पर्याय है । संरचनावाद पाश्चात्य समीक्षा जगत से हिंदी में आया।  यह 1960 के दशक के फ्रांस में विकसित बौद्धिक विश्लेषण एवं चिंतन की वह पद्धति है जिसे विश्व स्तर पर भाषाविदों, साहित्य समीक्षकों, दार्शनिकों, मनोविज्ञान शास्त्रियों तथा नृविज्ञान शास्त्रियों (anthropologist) का उत्साहवर्द्धक समर्थन मिला । तो चलिए आज हम sanrachanavad kya hai  को विस्तार … Read more

प्लेटो का काव्य सिद्धांत | Plato ka Kavya Siddhant

पाश्चात्य काव्य-चिंतन की परंपरा का विकास 5 वीं सदी ईस्वी पूर्व से माना जाता है। पतंतु पाश्चात्य आलोचना में भौतिक सिद्धान्तों का सर्वप्रथम प्रतिपादन प्लेटो द्वारा ही हुआ । इसी काल में पाश्चात्य अर्थात् ग्रीक आलोचना का क्रमबद्ध स्वरूप देखने को मिलता है । इसके पहले कतिपय यूनानी साहित्यकारों (होमर, पिण्डार, गार्जियस, अरिस्टोफनीस आदि) की कृतियों … Read more

अरस्तू का अनुकरण सिद्धांत | Arastu Ka Anukaran Siddhant

पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में यूनानी विद्वान अरस्तू (384 ई.पू.-322 ई.पू.) का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है । वे एक ओर तो प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो के शिष्य थे तो दूसरी ओर विश्व-विजेता सिकंदर महान के गुरु होने का गौरव भी उन्हें प्राप्त है।    उन्होंने अपने जीवन में लगभग चार सौ ग्रन्थों की रचना की । … Read more

अमीर खुसरो की हिंदी कविता | Amir Khusro ki Hindi Kavita

अमीर खुसरो का वास्तविक नाम ‘अब्दुल हसन’ था और ये ‘निजामुद्दीन औलिया’ के शिष्य थे । अमीर खुसरो मुख्य रूप से फारसी के कवि थे।   आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार अमीर खुसरो का समय 1255 से 1324 ई. तक है । 1283 ई. में अमीर खुसरो ने रचना आरंभ की । अमीर खुसरो खड़ी … Read more

साठोत्तरी हिंदी कविता की विशेषताएँ | Sathottari Hindi Kavita Ki Visheshtaen

1960 के बाद लिखी गई कविता साठोत्तरी कविता के नाम से जानी जाती है। साठोत्तरी कविता ‘नई कविता’ का न तो विकास है और न उसका विकसित रूप। साठोत्तरी कविता एक अलग किस्म की कविता है, जिसका अपना कथ्य और अपना शिल्य है। इसका स्वरूप नई कविता से सर्वथा पृथक् है। वस्तुतः, साठोत्तरी कविता का … Read more

error: Content is protected !!